भीड़

Bheed

भीड़ से आगे निकलने का शौक़ है

पर उससे पहले उस भीड़ का हिस्सा बनना पड़ेगा,

उस भीड़ से आगे निकलना क्या

उस भीड़ का हिस्सा बनने जितना हुनर नहीं है,

जज़्बा है, उम्मीद है

पर करना क्या है वह समझ नहीं है,

मायूसियों को हिम्मत दिखा कर चल रहें है

ज़िंदगी के सफ़र के राहीं हैं, 

बस ज़िंदगी बदलने चल रहे हैं।


तारीख: 06.04.2024                                    शुभी राठौर




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