भीड़ से आगे निकलने का शौक़ है
पर उससे पहले उस भीड़ का हिस्सा बनना पड़ेगा,
उस भीड़ से आगे निकलना क्या
उस भीड़ का हिस्सा बनने जितना हुनर नहीं है,
जज़्बा है, उम्मीद है
पर करना क्या है वह समझ नहीं है,
मायूसियों को हिम्मत दिखा कर चल रहें है
ज़िंदगी के सफ़र के राहीं हैं,
बस ज़िंदगी बदलने चल रहे हैं।