बचपन की होली

बचपन की होली भी क्या होली थी।।
फाल्गुन मास के दस्तक के साथ ही
मन में रंग छूटने लगते,
चहूओर रंग बिरंगे नजारे लहलहाने लगते
बेगाने भी अपने से नजर आने लगते,
बसंती बयार की झरझराहट
बगीचो में कोयलो की कुकुआहट
आम के फूलो की बौराहट की सुगंध 
मन को रिझाने लगते,
घर- गली के बाहर बच्चे- बड़ो की टोलिया
कीचड़- कपड़े फाड़ रंगो की होलिया
मन को गुदगुदाने लगते,
पिचकारी की धार रंगो की बौछार 
अपनो का प्यार- दुलार 
मन को बुलाने लगता
गुझिया - रसगुल्ले की मिठास फागुआ
गीत में समाहित होली की कहानियाँ 
मन को लुभाने लगते
बचपन की होली भी क्या होली थी।।


तारीख: 06.04.2020                                    मल्लिका "एक परिचय"




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