जन्म - 1989
पिता का नाम -
माता का नाम -
शिक्षा - यांत्रिक अभियान्त्रिकी (B.Tech Mehchanical)
पता -
संपर्क - prince.tiwary@gmail.com
लेखक अपने शब्दों में:
मुझे मेरे एक शिक्षक ने आठवीं में ये कहा था कि मैं कभी सीधी हिंदी नहीं लिख पाउँगा (मेरी हस्तलेख (handwriting) बहुत ख़राब थी और आज भी है।) वो तो भला हो डिजिटल जगत का जिसकी वजह से जो भी मैं आज लिख रहा हूँ वो लोगों को समझ आ रहा है। हिंदी साहित्य हमेशा से उन्नत लेखकों और कवियों का दूसरा घर और एक उन्नत इतिहास रहा है। मेरे लिए हिंदी साहित्य क्या है वो तो मैं नहीं कह सकता चंद शब्द अवश्य खर्च कर सकता हूँ ये बतलाते हुए कि मैं उसी आठवीं में हिंदी साहित्य के इस इतिहास से प्रभावित हुआ था।
मुझे जो भाया था वो था प्रेमचंद जी का बेबाक शब्दों का प्रयोग, कबीर का कटाक्ष, निराला की वाणी, महादेवी जी का वर्णन और दीनबंधु जी का भावना उल्लेख। इन सभी की रचनाएँ मुझे एक अलग प्रेरणा देती थी।
मैं कोई लेखक नहीं और न ही कोई बड़ी कामना है। मैं बस ये प्रयास कर रहा हूँ कि जो कुछ भी उस समय पढ़ा है उनका सही मात्रा में प्रयोग कर एक अच्छी खिचड़ी बना सकता हूँ या नहीं। बेबाक शब्द, कटाक्ष, वाणी, वर्णन और भावना हर कहानी की जान हैं। अंततः ये इक्छा भी अवश्य है कि समय रहते मेरा नाम कोई जान जाए।
प्रिंस तिवारी
(हिंदी साहित्य का किशोर)