कोई हमें बताए तो

आज  कोई  हमें  बताए  तो।
बाग में फूल भी खिलाए तो।।

शाम कुछ कुछ यहाँ वहाँ भटकी,
चाँद  अच्छा  हुआ  मिलाए तो।

धूप  ने  खूब  ही  जलाया  है,
कौमुदी  भी  हमें  जलाए  तो।

रात  मानो निखर निखर जाती,
रात  में  चाँदनी  नहाए  तो।

गाज तो वृक्ष पर गिरी सहसा,
वाकया  ये  हमें  सुनाए  तो।


तारीख: 28.02.2024                                    अविनाश ब्यौहार




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