शायरी में सराबोर मत हो खामोशी और शोर मत हो । कोई तवज्जो देगा ही नहीं जंगल का तू मोर मत हो । और कुछ भी बन जा यहाँ बस यूं आखरी छोर मत हो । लूट लेंगे बच्चें बे-मक़सद कटे पतंग की डोर मत हो। बेहद मायुसी भी ठीक नहीं ज़िंदगी से यूं बोर मत हो ।
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