शायरी मेरा शौक

शायरी मेरा शौक है पेशा नहीं
आमदनी इसमे एक पैसा नहीं ।
अब न दौर है मीरो-गालिब का
और मैं भी हूँ उनके जैसा नहीं ।
कैसें बजाऊँ  बीन उसके आगे
नागिन  है वो,कोई  भैंसा नहीं।
चल हट परे,मेरे पहलू  से अब
इश्क़,लैला या मजनू जैसा नहीं ।
मायुस हो गए नतीजों से  मियाँ
क्या ज्म्हुरियत  पे भरोसा नहीं।


तारीख: 07.02.2024                                    अजय प्रसाद




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