सीमा पढ़ी लिखी अनाथ लड़की थी ।विवाह के बाद पति की गृहस्थी सुचारू रूप से चले यह सोच उसने नौकरी ज्वाइन कर ली ।इस दौरान वह गर्भवती भी हो गयी और एक चाँद से पुत्र को जन्म दिया ।
नौकरी के साथ जब पुत्र को सँभालने में दिक्कत महसूस होने लगी तो उसने मुन्ने की देखभाल के लिए आया को रख लिया ।आया पुत्र को सँभालने के साथ कुछ घरेलु कार्यों में भी मदद कर दिया करती थी ।जीवन हंसी खुशी चल रही थी ।एक दिन सीमा के बेटे की तवियत खराब थी तो सीमा आधे दिन की छुट्टी लेकर जल्दी घर लौट आई ।
घर की दूसरी चाभी से उसने दरवाजा खोला तो बेडरूम से आती कुछ चिरपरिचित आवाजों को सुन उसके कदम स्वत: उसी दिशा में बढ़ गए ।अन्दर का द्रश्य देख वह आग बबूला हो गयी ।बीमार छह माह के पुत्र को सोफे पर पटक बिस्तर पर उसका पति और आया रंगरलियाँ मन रहे थे ।सीमा ने आया को नौकरी से निकाल दिया और अपनी भी नौकरी से इस्तीफा दे दिया ।पति ने अपनी हरकतों की माफ़ी मांग ली और सीमा ने भी उसे क्षमा कर दिया ।
कुछ दिन बाद जब सीमा ने सुबह मुन्ने का दूध गर्म करने के लिए गेस स्टोव का नोव घुमाया ।एक तेज भभक के साथ लपटें उठीं और सीमा को अपनी चपेट में ले लिया ।पति ने देखा और मुन्ने को गोद में ले पड़ोसियों से मदद की गुहार लगाने बहार जा पहुंचा ।सीमा बुरी तरह जल चुकी थी ।
पति विलाप कर रहा था “सीमा ये कैसी लापरवाही की तुमने ?,देखो हमारा मुन्ना बिना माँ का हो गया।”और मुन्ना की आंखें इधर उधर दूध की आस में माँ को खोज रही थी ।