टेंडर

- ‘ खन्ना यार ! हाउसिंग बोर्ड का जो चेयरमैन बना है,ऑफिस में नाक पर मक्खी तक नहीं बैठने देता। दफ्तर वाले कहते हैं कि एक पैसा भी नहीं लेता। बिहार का कोई सिन्हा है। इसकी ईमानदारी और कार्यकुशलता के लिए सरकार ने इसे पिछले 15 अगस्त के दिन अवार्ड भी दिया था। मालूम नहीं कईयों के टेंडर पास हुए जा रहे हैं। हम लोएस्ट कुटेशन भी देते हैं तो भी हाथ मलते रह जाते हैं। बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह। इसका अस्सिटेंट इसका भी बाप है। सीधे मुंह बात नहीं करता। जरा सा कुछ कहने लगो तो खाने को पड़ता है। यही बंदा पहले चेयरमैन का कंडयूट पाईप था। अब भाव खा रहा है ,’ राज मल्होत्रा एक बीयर बार में अपना दुख बांटने लगे।
         खन्ना जी, जो  एक अन्य सरकारी महकमे के बड़े अधिकारी थे , कहने लगे ,‘ ऐसा है... विजीलैंस  ब्यूरो अब, विजीलैंट हो गया है। सब डरते हैं कि अगर एक बार ट्रैप में आ गए तो सात पुश्तें बरबाद हो जाएंगी। आजकल दो चार बच्चे तो होते नहीं मुश्किल से सवा लाख ही होता है। चक्कर  पड़ जाए तो सात पुश्तों तक मामला पहंुचता ही नहीं।’
        गुप्ता जी बोले,‘ ल्ेकिन डिपार्टमेंट तो वैसे ही भाग रहा है जैसे पहले दौड़ता था। टेंडर निकल रहे हैं। ठेकेदार भर रहे हैं। काम मिल रहें हैं। सरकारी मकान बन रहे हैं। कमाई हो रही है। क्या ये सब बिना लिए दिए हो रहा है? कोई रास्ता बताओ यार कि कैसे अपने काम, इस राजा हरीशचंद्र के कर कमलों से हो जाएं । हम सब का दुख दर्द कॉमन है।’
    खन्ना जी बड़े कान्फिडेंस से बोले,‘ देख मल्होत्रा! कल  माथुर बिल्डर्स का टेंडर ही पास होगा। नई कालोनी का कांन्ट््रैक्ट उसे ही मिलेगा।’
‘वो कैसे?’वर्मा ने शंका से आखें चौड़ी की।
‘बता दिया तुझे ।’
‘श्योर ?’
‘देखता जा।’
‘ज्योतिषी है तू क्या यार?’
‘ज्योतिषी से भी----- एक फुट ऊपर।’
     खन्ना ने बात जारी रखते हुए आगे समझाया,‘ माथुर हरीशचंद्र का भी बाप है। चालीस साल से है बिल्डिंग के प्रोफैशन में। कितने आई.ए.एस आए कितने चले गए। इसके काम न कभी रुके हैं न आगे रुकेंगे।‘
‘पर ये हरीश चंद्र भी पूरा घाघ है घाघ। होगा कैसे?’
‘हा..हा... हा! माथुर की सफलता का राज़ जानना चाहता है?’
‘कौन नहीं चाहेगा?’
‘मालूम है हर सफल आदमी के पीछे एक औरत होती है।’
‘यस ! इट्स ओल्ड सेयिंग- बिहाइंड एवरी सक्सेसफुल मैन देयर स्टेंड्ज  ए वूमैन ।’वर्मा जी ने इसे अंग्रेजी में अनुवाद करके अपने उच्च ज्ञान का परिचय दिया।हालांकि इस हमाम में सब.....!
‘बस यही है राज़ है। ध्यान से सुनो।’
     तीनों नें अपनी अपनी गर्दनें सारस की तरह खन्ना के मुंह के पास खींच दी ताकि यह तरकीब कहीं लीक न हो जाए।
खन्ना ने धीमी फुसफुसाहट में रहस्य खोला ,‘आज रात मिसेज माथुर लेडीज़ क्लब में आएगी। मिसेज हरीशचंद्र भी आएगी।और बड़े बड़े ब्यूरोक्रैट्स की बीवियां भी होंगी। किटट्ी निकाली जाएगी। फिर रम्मी खेली जाएगी। इस गेम में मिसेज हरीशचंद्र तब तक गेम नहीं छोड़ेगी जब तक वह मिसेज माथुर से 15 लाख न जीत जाए। और कल माथुर का टेंडर ---डन डना डन डन!’


तारीख: 12.03.2024                                    मदन गुप्ता सपाटू









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