अबला नारी तेरी यही कहानी,
आँखों में समंदर का पानी
दिल मे दर्द होठों पे नमी,
बात जुबान पर आ आके थमी है
बातों मे शरारत सी घुली है ,
उसकी हंसी दुखों की लड़ी है
हर मुश्किल को आसान किया है,
हर सवाल का जवाब वो बनी है
हंसती और हंसाती रहती,
न जाने किस माटी की बनी है
शिकवा न कोई है किसी से,
भाग्य की मोहताज़ बनकर
हर किसी की कठपुतली बनकर,
वो दिन-रात पतझड़ सा झड़ी है
चाहत न कोई अरमान संजोती,
हर समय पल पल वो मरी है
अबला नारी तेरी .............