अबला नारी

अबला नारी तेरी यही कहानी,
आँखों में समंदर का पानी  
                     दिल मे दर्द होठों पे नमी,
                     बात जुबान पर आ आके थमी है
  
बातों मे शरारत सी घुली है  ,
उसकी हंसी दुखों की लड़ी है 
                      हर मुश्किल को आसान किया है,
                      हर सवाल का जवाब वो बनी है

हंसती और हंसाती रहती, 
न जाने किस माटी की बनी है
                     शिकवा न कोई है किसी से, 
                     भाग्य की मोहताज़ बनकर 

हर किसी की कठपुतली बनकर, 
वो दिन-रात पतझड़ सा झड़ी है  
                   चाहत न कोई अरमान  संजोती, 
                   हर समय पल पल वो  मरी है  
अबला नारी तेरी .............


तारीख: 06.06.2017                                    चंचल उपाध्याय




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