नहीं चाह आशियां की
नहीं चाह चाँदनी की रिमझिम ,
दे दो मुझे बस खुला आसमां
सितारों की झिलमिल, तारों की टिमटिम ।
चलता चलूँ हरदम ,
नहीं किसी मुकाम को ,
रुके नहीं कदम
थककर किसी शाम को ।
चलूँ मैं जबतक,
बस चलता रहूँ ,
अजनबी राहों पर,
कदमों के निशाँ गढ़ता चलूँ ।
मंज़िल हो मेरी हर कदम पर,
नहीं फासलों पर मुकाम हो,
थम जाए जहाँ गति मेरी
वहीँ ज़िन्दगी की शाम हो ।