बलिदान:शहीदों के लिये

 सिंहगर्जित क्षितिज,
 रक्तरंजित धरा,
 प्राण अर्पित करने की,
 कर्ण सी वह त्वरा
 म्रत्यु से करते सुसज्जित
 वीर देहों को परस्पर ।

 अश्रुओं की माल लेकर
 विजयी अग्नि थाल लेकर
 सौम्य ऊषा काल लेकर
 गोद में म्रत लाल लेकर
 काँपती वसुधा कुमारी ,
 अमर वीरों को स्मरण कर। 

 मात का उपहास करने,
 क्रूरता का त्रास भरने,
 नीच, निर्दयी, निरेलोभी शत्रु, 
 घर का नाश करने
 आ रहे थे पंथ से जिस
 द्रश्य होता न कहीं फिर

 दिख रही बस वीर पूजा
 दिख रहा भूषण न दूजा
 दिख रहा बलिदान गहरा
 तेज का घनघोर पहरा
 युग को सुरभित कर गये हैं
 क्षण में सुन्दर पुष्प गिरकर।
 


तारीख: 02.07.2017                                    पुष्पेंद्र पाठक









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