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जो अब नींद नहीं इन आँखों में , की अब सो ना पायेंगे ...
छिपकर चलेंगे जुगनुओ से मिलने , और तारों को जगायेंगे ...
झींगुरों के शोर से , ओस की बूंदों संग लड़ जायेंगे ..
रात को यूँ हीं तकते तकते , सहर होने तक सो जाएंगे
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