मैं कश्ती हूं, तू मेरी पतवार हो जा
तन्हा सा है नाविक, तू सवार हो जा
मैं नाज़ुक कलि, तू मेरा शूल हो जा
प्यासा है ये भौंरा, ज़रा तू फूल हो जा
जलाता है दीया, तू मेरी हवा हो जा
जलता है ज़ख्म, आ मेरी दवा हो जा
धूल जमी है, तू पत्तो पर शबनम हो जा
लाख धकेलूं दूर, तू मेरी जबरन हो जा
हूं निराला सा मैं, तू भी अजीब हो जा
बदनसीब हूं मैं, तू मेरा नसीब हो जा