मेला है भाई मेला है

 

मेला है भाई मेला है
हलवाई की दुकान से उठती मिठाई की सुगंध
घर-बाहर की चीजों के भी कई रंग
चाट-पकौड़ी और बर्फ के गोलों के संग


खेल खिलौनों से भरा रंगीन ठेला है
मेला है भाई मेला है
तमाशों से भरा बाज़ीगर का झोला है
बन्दरिया के करतबों से सजा मदारी भोला है


झूलों-चकरियों के संग झूलता-झूमता
जनता का रेला है
मेला है भाई मेला है।
 


तारीख: 18.08.2017                                    अमर परमार




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