छोड़ चम्पा चमेली नहीं आएगी ।
ये समझ में पहेली नहीं आएगी ।।
आएगी तो ये दर्दो के झोंके लिए ,
ये ख़ुशी है अकेली नहीं आएगी ।।१
जाने क्या कह दिया जाने क्या सुन लिया।
ख़ुद ही ख़ुद में न जाने ही क्या गुन लिया।।
फूल पाने की चाहत में हम दोनों ने ,
अपने हिस्से में काँटो को ही चुन लिया।।२
ख़्वाब को दिल ही दिल में सँजोते हुए ।
जाने क्या मिल रहा ख़ुद को खोते हुए ।।
इस विरह की हमारी ये तस्वीर है ,
हँस रहे हैं मगर हम तो रोते हुए ।।३
हर घड़ी कहते रहने से क्या फ़ायदा।
पीर अपनी ही सहने से क्या फ़ायदा।।
पढ़ सके जो न नयनों की भाषा उसे ,
शब्द अधरों के कहने से क्या फ़ायदा।।४