अश्क अश्क पीकर ये दरिया
मोती मोती है भर आया।।
लहरों की हलकी उमंग से
कश्तियों ने मात खाया।।
पार आने की जिरह में
लहरों ने त्यौहार मनाया।।
कश्मकश में
इस कश्मकश में..
कश्मकश में
हार गया हूँ
दिल भी लेकिन जीत न पाया।।
लिख लेता हूँ यूँही अब मै
अपना है हर फन भुलाया।।
लिख सकूँ तुझे कभी मै
चाहता हूँ, लिख न पाया।।
भूल है क्या, चूक क्या है
कागजे हूँ बस भरता आया।।
कोरा है अब
कोरा है अब..
कोरा है अब
हर इक पन्ना..
दिल भी लेकिन भर न पाया।।
जब भी खोले लब ये मैंने
तेरा ही है नाम आया।।
अपनी गीतों या ग़ज़ल में
जिक्र तेरा ही है आया।।
लफ्ज़ कहने को बहुत हैं
पर टूट चुकी है सारी माया।
तुम नही हो
तुम नहीं थे...
तुम नहीं थे
समझ गया हूँ...
दिल ये लेकिन समझ ना पाया।।
दिल भी लेकिन.....