हिन्दी सहज है, सुन्दर और सरस है,
भारत की राज भाषा है,
पर हिन्दी का महत्व
मात्र हिन्दी-दिवस पर नज़र आता है
बाकी के दिन, देश में अंग्रेजी घूमती है
अंग्रेजी खण्डहर में, ग़ुलामी गूंँजती है
अंग्रेज तो चले गए, पर अंग्रेजी यहीं रही
मन से अँग्रेजों की ग़ुलामी नहीं गई
अंग्रेजी बोल कर कद बढ़ जाता है
हिन्दी बोलने वाला मूर्ख कहा जाता है
हमें अपने आप पर शक क्यों है?
हिन्दी बोलने में शर्म क्यों है?
लाख अंग्रेजियत ओढ़ लें,
अंग्रेज तो नहीं बनेंगे
न तीतर बनेंगे न बटेर रहेंगे
इसलिये अपनी स्वदेशी पहचान बनायें
कोट-पैंट, टाई पहन कर, अंग्रेजी मत गिटपिटायें
हिन्दी को अपनी भाषा, अपना अभिमान बनायें,
स्वयं बोलें, दूसरों को भी सिखायें...
हिन्दी भारत के बहुसंख्यक की भाषा है,
संस्कृत और संस्कृति से पुराना नाता है,
देश यदि शरीर तो हिन्दी आत्मा है...
यही वह सूत्र है, जो देश जोड़ सकता है,
बहु-भाषा का मंत्र, देश तोड़ सकता है
हिन्दी ही देश की एकता का बंधन है,
भारत का मान और माथे का चंदन है।