माँ तुम जीवन हो

मन की पीड़ा भूल दूर करती हर व्यथा
माँ तुम जीवन हो अदभुत तेरी कथा
ऊँगली पकड़ के तुमने चलना सिखलाया है 
गलत सही का फर्क तुमने बतलाया है

खाना देती हो नाक पोछती हो 
रोम रोम में बस प्यार सींचती हो 
मेरे दुःख में आंखे भर डालती हो
और हर कष्ट में तुम साथ निभाती हो
 
मेरे चेहरे की झलक देख चेहरा तेरा खिल जाता है
हाथ अगर तुम सिर पर फेरो जीवन मिल जाता है 
मेरे सारे प्रश्नों का तुम जवाब बन जाती हो
राहों के काँटों पर सहज चलना सिखलाती हो

माँ तुम हँसती है तो मन मुस्काता है 
मेरा हर इक कण तुम्हे शीश झुकाता है 


तारीख: 28.06.2017                                    शशांक तिवारी









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