प्रेम में समर्पित एक प्रीत माँगू।
मैं ईश्वर से अपने लिए मीत माँगू।।
जो स्त्री-पुरूष समता में विश्वास करे।
मेरी भावनाओं का भी सम्मान करे।।
ऐसा स्वयं के प्रतिबिंब का दर्पण माँगू।
मुझमें निष्ठा रख सके वो समर्पण माँगू।।
शीघ्रकोपी नहीं स्वभाव में शीत माँगू।
परिस्थिति संभालने वाला नवनीत माँगू।।
जो दुख को आधा सुख को दुगना करे।
वासनाओं का नहीं रुह का आदर करे।।
ऐसा तृप्त आकांक्षाओं का तर्पण माँगू।
मेरे लिए अहं भी त्यागे वो समर्पण माँगू।।
साथ गाने को सात सुरों का गीत माँगू।
जन्मों-जन्मों तक निभे ऐसी रीत माँगू।।
जो प्रीति से अपने प्रणय में अनुराग भरे।
मुझमें आत्मविश्वास का भी निर्माण करे।
ऐसा उसके प्रत्येक साँस का अर्पण माँगू।
मुझे पूरा जीवन दे सके वो समर्पण माँगू।।