न जाने दिलों जां को ये क्या हुआ है
नही काम आती कोई अब दवा है ।
ये मौसम बहुत ही सुहाना हुआ है
बरसने को कोई अब चंचल घटा है ।
पिघल मैं गया हूँ बहुत ही शर्म से
किसी की नज़र ने मुझे जो छुआ है ।
वजह जानते गर मना लेते तुमको
मुझे क्या पता है हुई क्या खता है ।
खुदा की खुदाई पे अब शक न कोई
हुई जो मिरी हर मुकम्मल दुआ है ।
ये अलफ़ाज़ मेरे है तुमपे नज़र सब
किताबों में मैंने तुम्हे ही लिखा है ।
न रातें सुकूँ में न दिन में है चैना
रिशु चाहतों का असर ये बुरा है ।