हर सवाल का जवाब हो,जरूरी तो नहीं
मोहब्बत में भी हिसाब हो,जरूरी तो नहीं
पढ़नेवाला सब कुछ पढ़ ले,जरूरी तो नहीं
हर चेहरा खुली किताब हो,जरूरी तो नहीं
जवानी जलती सी आग हो,जरूरी तो नहीं
और हर शोर इंक़लाब हो,जरूरी तो नहीं
रिश्ते सब निभ ही जाएँ, जरूरी तो नहीं
बगीचे में सिर्फ गुलाब हो,जरूरी तो नहीं
जो जलता है काश्मीर हो,जरूरी तो नहीं
उबलता झेलम-चनाब हो,जरूरी तो नहीं
लाशों से भरा चुनाव हो, जरूरी तो नहीं
सरहद पे फिर तनाव हो, जरूरी तो नहीं