बुरा ना मानो होली है

द्वारे सजना देख के , गोरी हुई बेहाल ,
निकट पापा थे खड़े , बिना रंग हुई लाल !!

एक किलो हरा था , एक किलो चमकीला ,
गोरी तक ना जा सका , तो रंगा बाप का टीला !!

मीठे और नमकीन का , गोरी लाई थाल ,
सजना तो खाने लगे , समझ ना पाए चाल !!

भङ्ग मिला मिष्ठान था , भङ्ग मिली नमकीन ,
सजना खाकर तब भए , पूरे ही रंगीन !!

गोरी समझा बाप को , पकड़ा उनका हाथ ,
हनी सिंह के गीत पर , करन लगे वो नाच !!

बप्पा भी तब समझ के , हुए ज़रा गम्भीर ,
जोर से पटका हाथ को , खुद से किया फिर दूर !!

बाहर तेजी से ले गए , जैसे बंदूख से गोली है ,
कहन लगे हँसके उसे , बुरा ना मानो होली है ...
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【शब्दार्थ = टीला- सिर , भङ्ग- भाँग 】


तारीख: 09.06.2017                                    शशांक तिवारी









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