मकर राशि पर सूर्य जब, आ जाते है आज !
उत्तरायणी पर्व का, हो जाता आगाज !!
कनकअौं की आपने,ऐसी भरी उड़ान !
आसमान मे हो गये , पंछी लहू लुहान !!
फिरकी फिरने लग गई, उड़ने लगी पतंग !
कनकअौं की छिड़ गई, आसमान मे जंग !!
अनुशासित हो कर लडें,लडनी हो जो जंग !
कहे डोर से आज फिर , उडती हुई पतंग !!
कहने को तो देश में,अलग अलग है प्रान्त !
कहीं कहें पोंगल इसे , कहे कहीं सक्रांत !!
उनका मेरा साथ है, जैसे डोर पतंग !
जीवन के आकाश मे, उडें हमेशा संग !!
मना लिया कल ही कहीं,कही मनायें आज !
त्योंहारो के हो गये, अब तो अलग मिजाज !!
त्योहारों में धुस गई, यहांँ कदाचित भ्राँति !
दो दिन तक चलती रहे, देखो अब संक्राँति !