एक सैनिक की पत्नी के भाव

सूखा हलक,
बिखरे अलक ।
मन खोजे तेरी झलक,
निगाहें जाएँ जहाँ तलक ।।

तेरी प्रतीक्षा में,
राहें ताकूँ अपलक ।
जब आए याद तेरी,
अश्रु गिरें छलक-छलक ।।

गीले तकिए के नीचे से,
निकालकर तेरी तस्वीर ।
लगा लूँ सीने से,
भूल जाऊँ सब पीर ।।

पर चिंता से होता व्याकुल मन,
जब-जब सुनती ये समाचार ।
मातृभूमि की सेवा में,
गए जवान कुछ स्वर्ग सिधार ।।

पर तेरे शब्दों की सदा,
सदा हिम्मत देकर जाती है ।
मातृभूमि की सेवा की बारी,
विरलों की ही आती है।।

हैं धन्य वो पुत्र-पुत्रियाँ जिन्होंने,
माता को सर्वस्व दान दिया ।
देशसेवा का मार्ग बताकर,
जग में अपना मान किया ।।


तारीख: 30.06.2017                                    विवेक कुमार सिंह









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