मेरा वो ज़मीर नही

हिरदय आँखे शक्ति साँसें , और मेरा शरीर तुम्ही ,
इतनी तीख़ी इस दुनिया में , मीठी सी तुम ख़ीर रही !!

खींच रहे सब प्रेमगाड़ी को , पास मेरे जंजीर रही ,
एक अकेला खींच पाउँगा , इतना भी मैं बीर नही !!

कितना गलत किया है सबने , आँखों में पर नीर नही ,
कैसे तुम सब सह लेते हो , मुझमें इतना धीर नही !!

मुझसे तेरा मन उजटा , जा किसी और की हीर सही ,
सब पर यूँ ना शासन करना , सब तेरी जागीर नही !!

दिखा रही मजबूत स्वयं को , अंदर रोती तस्वीर रही ,
कोई हमेशा साथ निभाए , ऐसी अच्छी तकदीर नही !!

हँसता हूँ तो नाटक कहते , रोने पर गम्भीर नही 
मर जाऊँगा तब बोलेंगें , क्यों मुझसे ना पीर कही !!

तुम्हें दिखाने प्यार मैं अपना , दूँगा सीना चीर नही ,
बस इतना विश्वास दिलाता , होगा मुझसा और नही !!

सबके सब जब राजा हो गए , मैं भी तो वज़ीर नही ,
किसी और की चमक पे चमकूँ , मेरा वो ज़मीर नही !!

पैसा है ना रूपया लेकिन , प्यार में मैं फ़कीर नही ,
रिश्ते में सब अच्छा ही हो , मैं कोई रघुवीर नही !!


तारीख: 30.06.2017                                    शशांक तिवारी









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