जब कविता खो जाती है

जब कविता खो जाती है 
ज़िन्दगी के अँधेरे में,

जब धूमिल पड़ जाता है कविता का अर्थ ,
चिलचिलाती धूप के घेरे में, 

याद आता है वो चेहरा,
जिसकी मासूमियत 
मेरी कलम कभी लिख पायी नहीं । 

याद आती है वो रातें,
जिसकी गहराई 
मेरे पन्नों में समायी नहीं ।


तारीख: 30.06.2017                                    जय कुमार मिश्रा









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