कच्चे पुलों कि मानिंद निकले दोस्त मेरे ,
जरा वजन जो पड़ा, एकदम से टूट गए,
आह री मतलबपरस्ती, वाह री दुनियादारी ,
भरोसों पर थे किये, भरोसे, अपने छूट गए,
ऐसा नहीं कि हुई है दफ़न सारी उम्मीदें ,
दगा देने को अभी नाम है कई , छूट गए,
इलज़ाम जब दूँ किसी पे जो कोई गैर होता,
तुझे तो अपने ही यार मेरे, लूट गए ,
कच्चे पुलों कि मानिंद निकले दोस्त मेरे ,
जरा वजन जो पड़ा, एकदम से टूट गए !!