वो उतरता है जब भी खयालात में\nवो उतरता है जब भी खयालात में\nवो उतरता है जब भी खयालात में

वो उतरता है जब भी खयालात में
आँख भर आती है बात ही बात में


उम्र भर के लिए उसने वादे किए
तोड़ लेकिन दिए एक ही रात में


दर्दे-दिल अश्क़ और सिर्फ़ तन्हाइयाँ
हमको देकर गया है वो सौगात में


मेरे ख्वाबों का था एक सुन्दर महल
टूटकर जो गिरा पहली बरसात में


हैं फरेबी बहुत इस जहाँ में ‘पवन’
बह न जाना कहीं झूठे जज़्बात में
 


तारीख: 17.03.2018                                    डॉ. लवलेश दत्त




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है